Saturday 1 June 2013

भारत एक ऐसा देश है जहा पे हर ५० कोस में आपको परिवर्तन दिखाई पड़ जायेगा ||
परिवर्तन भूगोल का 
परिवर्तन भाषा का 
परिवर्तन जलवायु का
और
परिवर्तन रिती रिवाजो का ||
इतनी अनेकता के बावजूद भी हम गर्व से कहते है " हम एक है " ||
इतिहास गवाह है की सर्वप्रथम मानव का उदय इसी भारत भूमि मैं हुआ || भारत विश्व की सबसे पुराणी संस्कृति मानी जाती है |
आज इस संस्कृती जिसमे विभिन्न धर्म और जाती के लोग रहते है || और अपने संस्कारो को अपनी आने वाली पीढ़ी को देते है और कहते है || यह भारत मेरी माँ है और मुझे इस्सी माँ की गोद में हमेशा के लिए सोना है अब आप इस देश की भावी पीढ़ी हो संभालो अपनी जगह और इस माँ की इज्ज़त और आबरू सदा सलामत रखना और याद रखना हम हमेशा से ही हम सर्वोपरि संस्कृती और संस्कार के मालिक है और हमेशा रहें ||


|| be continue ||

Sunday 19 May 2013

Baramsar Bhuteswar mahadev mandir vaishaki...... Rajasthan

जैसलमेर से १६ km दूर स्तिथ एक स्थान वैशाखी | जहा है भोले शंकर की छवि का वो स्वरुप जो भूतो के ईश्वर भूतेश्वर महादेव के नाम से जाने जाते है | मेरे दादा जी श्री नकुलाल शर्मा जो बचपन से ही भूतेश्वर महादेव की सेवा में समर्पित है
वो कहते है की "जीवन का आधार सत्य है और सत्य ही शिव है"|
वहा शाम के समय का नजारा बहुत ही अद्भुत होता है चारो तरफ एक शांति की लहर और पक्षियों की चहचहाहट और मस्ती में नाचते मोर और उमा-महेश-आश्रम मैं बजते शिव भक्ति के भजन एक अत्यंत ही सुखदायी अहसास देते है
तपस्वियों की इस महान भूमि जहा कई ऋषि मुनियों ने अपने तप से कई सिद्धिया प्राप्त करके लोगो की भलाई करके उन्हें सत्य का मार्ग बता के उनमे शिव के प्रति आस्था और विश्वास को बढाया उनके तप की शक्तिया आज भी इस पावन भूमि पे शान्ति के रूप में महसूस की जा सकती है|
मंदिर का एक विघहम द्रश्य : -



संत महापुरुषों का धुणा : -
उमा-महेश-आश्रम :-






वैशाखी धाम में स्तिथ है उमा-महेश-आश्रम जिसके गादीपति श्री कमलेशानंद जी महाराज है|

जहा पे आये दिन भक्ति रस की नदियाँ बहती रहती है|
 इस वीरान इलाके में गर्मियों में रहना तक दूभर होता है फिर भी वैशाख की पूर्णिमा को यहाँ पे भगवन शिव का मेला लगता है |
इतनी भीषण गर्मी में भी यहाँ हजारो श्रद्धालु मेले में शिरकत करते है और भगवान् शिव के दर्शन करने आते है| और यहाँ स्तिथ कृष्णा कुंड और महिलाए राधा कुंड मैं नहाकर अपने वैशाख व्र्रत को पूरा करती है |
कुछ और नज़ारे वैशाखी के -




Wednesday 21 September 2011

"keshariya balam aao ni padharo mhare desh".....golden city jaisalmer

Jaisalmer, a magical desert land with prismatic look and brilliance of the sun and the sand. Rising from the heart of the Thar Desert like a golden mirage Jaisalmer is known as the Golden City . Every facet of Jaisalmer's art, culture and history is intriguing. All these gives visitors an opportunity to meet some of Jaisalmer's cultural experts.
Jaisalmer is an important city of the western state of India , Rajasthan. It is popular for camel safaris & it's living "Golden Fort". It was a major trading center in the medieval times. In medieval times, its prosperity was due to its location on the main trade route linking India to Egypt , Arabia , Persia , Africa and the West.
The perfect time to visit the golden city is during the Desert Festival. The Desert Festival takes place in January-February of each year. Camel races and dances, folk music, desert ballads, puppeteers - they're all part of the activity. At the full moon night, a sound and light drama is performed at Sam.